मुंगेर सड़क सह रेल गंगा पुल जिसे कर्ण सेतु के नाम से भी जाना जाता है|आप सभी सोच रहे होंगे की मैंने इसे ड्रीम प्रोजेक्ट क्यों कहा है?वास्तव में यह पुल मुंगेर के लोगो का सपना ही नहीं बल्कि लोगो की इनसे कई उम्मीदें भी जुड़ी है| इस पुल को लेकर लोगों में कितनी उम्मीदें है इस बात का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है की 26 दिसम्बर 2002 जब तत्कालिक प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ने दिल्ली से रिमोट के माध्यम से इसका शिलान्यास किया था तब मुंगेर के लोगो ने दिवाली मनायी थी| इस पुल के निर्माण से मुंगेर-भागलपुर रेल मार्ग को बरौनी-बेगुसराय-कटिहार रेल मार्ग से जोड़ा जाना था| इस से जहाँ मुंगेर में व्यवसायिक तथा औद्योगिक विकास की सम्भावना थी वहीँ बेगुसराय तथा खगड़िया के लोगो प्रमंडल कार्यालय आने के लिये अब 150 किमी आने जरुरत नहीं बल्कि महज 30-40 किमी की दूरी तय करना था|

रेल पुल को किया गया शुरू
921 करोड़ की लागत से बनने वाली इस पुल की निर्धारित समयसीमा 2007 तय की गई थी,लेकिन लोगो को यह नहीं मालूम नहीं था की जिले के विकास में यह परियोजना रास्ते का पत्थर साबित होगा| आज तय समयसीमा के लगभग 13 वर्ष बीतने के बावजूद भी इस पुल का निर्माण कार्य पूरा नहीं हो पाया जिसके कारण इस परियोजना की कीमत 921 करोड़ से बढ़ कर 2774 करोड़ हो गई| किसी तरह 12 मार्च 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने रेल मार्ग का उद्घाटन कर इसे मालगाड़ी के लिए चालू कर दिया और 11 अप्रैल 2016 को रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा द्वारा बेगूसराय-जमालपुर डेमू ट्रेन को हरी झंडी दिखाकर इसे पैसेंजर ट्रेनों के लिए खोला गया|
सड़क पुल का कार्य अबतक अधुरा
वैसे तो इस पुल का निर्माण लगभग पूरा हो चूका है परन्तु एप्रोच पथ का निर्माण अभी भी बाकी है|कभी भूमि अधिग्रहण तो कभी टोपोलैंड की समस्या के कारण यह एप्रोच पथ अब तक नहीं पूरा हो सका।लोग अभी भी इसके पूर्ण होने के लिए सरकार और प्रशासन के ओर नजरें टिकाये हुए है| इस सड़क सह रेल पुल के पुर्णतः निर्माण से मुंगेर, उत्तर और पूर्व बिहार प्रत्यक्ष रूप से जाएगा।जिससे यहाँ के लोगो को यातायात में सुगमता के साथ साथ व्यवसाय के भी अच्छे अवसर प्रदान होंगे|
पिछले 17 वर्षो में शासन तथा प्रसाशन में कई बदलाव हुए परन्तु न तो शासन ने और न ही प्रसाशन ने इसकी ओर अपना ध्यान केन्द्रित किया| इसके निर्माण में कल्पना से पड़े इस विलम्ब ने मुंगेर को विकास की दौड़ में काफी पीछे छोड़ दिया है।इसके पूरे होने की इन्तज़ार अभी भी लोगों के उम्मीद से पड़े है। विकास की परिकल्पना आँखों में लिये मुंगेर की जनता आज भी सिर्फ इस उम्मीद में है कि कब सरकार मुंगेर पूल को मुंगेर की जनता को सौंपती है।अब देखना यह है कि सरकार कब यहाँ की जनता के उम्मीदों पर खड़ी उतरती है? आखिर कब तक मुंगेर की तरक्की को एक ही केंद्र बिंदु पर लटका कर रखा जाता है?इस ड्रीम प्रॉजेक्ट को कब वास्तविकता में परिवर्तित करती है?
By : Aman ( 👈Follow me on Instagram )
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